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ज्योति मल्होत्रा: एक यूट्यूबर से पाकिस्तानी जासूस तक का सफर और पहलगाम हमले से पहले का रहस्य

 ज्योति मल्होत्रा: एक यूट्यूबर से पाकिस्तानी जासूस तक का सफर और पहलगाम हमले से पहले का रहस्य



भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों का इतिहास रहा है, और समय-समय पर दोनों देशों के बीच जासूसी, आतंकवादी हमले और खुफिया गतिविधियों की खबरें सामने आती रहती हैं। हाल ही में, हरियाणा की एक यूट्यूबर और ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा की गिरफ्तारी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। ज्योति मल्होत्रा, जो अपने यूट्यूब चैनल "ट्रैवल विद जो" के लिए जानी जाती थीं, पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने और संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप लगा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनकी गतिविधियों का संबंध जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से जोड़ा जा रहा है, जिसने 26 लोगों की जान ले ली थी। यह ब्लॉग ज्योति मल्होत्रा के इस विवादास्पद मामले, उनके पाकिस्तान कनेक्शन, और पहलगाम हमले से पहले की उनकी गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डालेगा।




 ज्योति मल्होत्रा: एक सामान्य यूट्यूबर या कुछ और?


ज्योति मल्होत्रा हरियाणा के हिसार की रहने वाली एक ट्रैवल ब्लॉगर थीं, जिन्होंने अपने यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम हैंडल (@travelwithjo1) के जरिए लाखों लोगों का ध्यान खींचा था। उनके वीडियो में भारत और विदेशों की यात्राओं के रोमांचक अनुभव, खूबसूरत लोकेशन्स, और सांस्कृतिक विविधता को दिखाया जाता था। उनकी मासूमियत भरी मुस्कान और आकर्षक प्रस्तुति ने उन्हें सोशल मीडिया पर एक लोकप्रिय हस्ती बना दिया था। लेकिन, जैसा कि कहावत है, "मासूम चेहरों पर ना जाइए," ज्योति की कहानी ने एक ऐसा मोड़ लिया, जिसने सभी को हैरान कर दिया।




2023 में, ज्योति ने पाकिस्तान की यात्रा की, जिसके बाद उनकी गतिविधियों पर खुफिया एजेंसियों की नजर पड़ने लगी। जांच में पता चला कि वह पाकिस्तान हाई कमीशन के एक कर्मचारी, एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश, के संपर्क में थीं। दानिश को भारत सरकार ने 13 मई 2025 को अवांछित व्यक्ति घोषित कर देश छोड़ने का आदेश दिया था। ज्योति की गिरफ्तारी के बाद हिसार पुलिस ने खुलासा किया कि वह केवल एक ब्लॉगर नहीं थीं, बल्कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) के लिए एक "एसेट" के रूप में विकसित की जा रही थीं।[]



पाकिस्तान यात्रा और दानिश के साथ संबंध


ज्योति मल्होत्रा की कहानी तब शुरू हुई जब वह 2023 में वीजा के लिए दिल्ली स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन गई थीं। वहां उनकी मुलाकात दानिश से हुई, जो एक पाकिस्तानी अधिकारी था। दानिश ने न केवल ज्योति को वीजा दिलवाने में मदद की, बल्कि उनके साथ नियमित संपर्क भी बनाए रखा। ज्योति ने दानिश के कहने पर पाकिस्तान की तीन बार यात्रा की, जहां उनकी मुलाकात पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों से हुई।[]()



जांच एजेंसियों के अनुसार, दानिश ने ज्योति की पाकिस्तान यात्रा का पूरा खर्च उठाया था। वहां उनके ठहरने, घूमने, और अन्य सुविधाओं का इंतजाम भी दानिश के सहयोगी अली अहवान ने किया। ज्योति ने पाकिस्तान के लाहौर, अनारकली बाजार, और कटासराज मंदिर जैसे स्थानों के वीडियो बनाए, जिनमें पाकिस्तान की सकारात्मक छवि को बढ़ावा दिया गया। इन वीडियोज के पीछे का मकसद केवल ट्रैवल ब्लॉगिंग नहीं था, बल्कि पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा को भारत में फैलाना भी था।[]()[]()




ज्योति की सोशल मीडिया गतिविधियों ने भी जांच एजेंसियों का ध्यान खींचा। उनके इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में उर्दू में लिखा था, "इश्क लाहौर," जो उनके पाकिस्तान के प्रति झुकाव को दर्शाता था। इसके अलावा, उनके खातों में आय के स्रोत से कहीं अधिक खर्च और संदिग्ध लेन-देन पाए गए, जिसने उनकी गतिविधियों पर और सवाल उठाए।




पहलगाम हमला और ज्योति का कनेक्शन


22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में एक भयानक आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के हिट स्क्वॉड, द रजिस्टेंस फ्रंट (TRF), ने ली, हालांकि बाद में वे इससे मुकर गए। जांच में पता चला कि हमले में शामिल आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स के साथ संपर्क किया था, और इस हमले की साजिश में विदेशी सैन्य विशेषज्ञता का भी इस्तेमाल हुआ था।[]()




ज्योति मल्होत्रा का नाम इस हमले के साथ तब जुड़ा जब पता चला कि वह हमले से तीन महीने पहले, जनवरी 2025 में, श्रीनगर और पहलगाम की यात्रा पर गई थीं। इसके बाद मार्च में वह पाकिस्तान गई थीं। जांच एजेंसियों को संदेह है कि ज्योति ने पहलगाम की रेकी की और संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी हैंडलर्स को दी। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच में यह भी सामने आया कि वह हमले से पहले पाकिस्तानी अधिकारियों के संपर्क में थीं।




एक वायरल वीडियो में ज्योति ने पहलगाम हमले के लिए भारतीय सरकार और पर्यटकों को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में चप्पे-चप्पे पर सिक्योरिटी है, फिर भी यह हमला हुआ। इसमें सरकार की ही नहीं, हर उस नागरिक की जिम्मेदारी है जो घूमने जाता है। हमें चौकन्ना होना चाहिए था।" इस बयान ने उनकी मंशा पर और सवाल उठाए, क्योंकि यह भारत के सुरक्षा तंत्र को कमजोर दिखाने की कोशिश थी।




जासूसी का जाल: ऑपरेशन सिंदूर और गिरफ्तारी


भारत सरकार ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए, जिनमें "ऑपरेशन सिंदूर" भी शामिल था। इस ऑपरेशन के तहत खुफिया एजेंसियों ने संदिग्ध जासूसों की निगरानी शुरू की, जिसमें ज्योति मल्होत्रा का नाम भी शामिल था। उनके मोबाइल फोन, सोशल मीडिया अकाउंट्स, और कॉल डिटेल्स की गहन जांच की गई। शुक्रवार, 16 मई 2025 की रात को हिसार पुलिस ने ज्योति को न्यू अग्रसेन एक्सटेंशन कॉलोनी से गिरफ्तार किया।




ज्योति के साथ-साथ पंजाब के मलेरकोटला से गजाला और यामीन मोहम्मद को भी गिरफ्तार किया गया, जो दानिश के साथ मिलकर जासूसी नेटवर्क चला रहे थे। गजाला का काम दानिश से पैसे लेकर जासूसों तक पहुंचाना था, जबकि यामीन भी इस नेटवर्क का हिस्सा था। कुल मिलाकर, इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152 और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की धारा 3, 4, और 5 के तहत आरोप लगाए गए।




हिसार पुलिस के प्रवक्ता विकास कुमार और एसएसपी शशांक कुमार सावन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ज्योति को एक "एसेट" के रूप में विकसित किया जा रहा था। उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल पाकिस्तान के प्रोपेगैंडा को फैलाने और भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने के लिए किया जा रहा था। उनके बैंक खातों में संदिग्ध लेन-देन और आय से अधिक खर्च भी पाए गए, जिसकी जांच जारी है।




ज्योति की पृष्ठभूमि और मासूमियत का मुखौटा


ज्योति मल्होत्रा की कहानी इसलिए भी चौंकाने वाली है, क्योंकि वह एक सामान्य पृष्ठभूमि से थीं। उनके पिता, हरीश मल्होत्रा, ने बताया कि 2020 से पहले ज्योति दिल्ली में एक छोटे संस्थान में नौकरी करती थीं, जहां उन्हें केवल 20,000 रुपये की तनख्वाह मिलती थी। फिर भी, वह 12,000 रुपये के किराए पर फ्लैट लेकर आलीशान जिंदगी जी रही थीं। उनके बिजली बिल तक 4,000-5,000 रुपये आते थे, जो उनकी आय के हिसाब से असामान्य था।[]




हरीश मल्होत्रा को अपनी बेटी की गतिविधियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्हें केवल इतना पता था कि ज्योति वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालती है, लेकिन उसकी कमाई का स्रोत उनके लिए रहस्य था। ज्योति की मासूमियत और आकर्षक व्यक्तित्व ने न केवल उनके फॉलोअर्स को, बल्कि जांच एजेंसियों को भी शुरू में भ्रमित किया। लेकिन उनके फोन की कॉल डिटेल्स, स्नैपचैट, और टेलीग्राम चैट्स ने उनके जासूसी नेटवर्क को उजागर कर दिया।[]




सामाजिक प्रभाव और सबक


ज्योति मल्होत्रा का मामला न केवल एक जासूसी कांड है, बल्कि यह सोशल मीडिया के दुरुपयोग और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की शक्ति को भी उजागर करता है। हिसार पुलिस ने चेतावनी दी कि कुछ यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स डिजिटल मंचों का खतरनाक स्तर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।



यह मामला हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली चमक-दमक के पीछे क्या सच हो सकता है। ज्योति जैसे इन्फ्लुएंसर्स, जो अपनी लोकप्रियता का इस्तेमाल गलत मकसदों के लिए करते हैं, समाज के लिए एक बड़ा खतरा हैं। साथ ही, यह मामला खुफिया एजेंसियों की सतर्कता और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों की सफलता को भी दर्शाता है।



निष्कर्ष


ज्योति मल्होत्रा की कहानी एक ऐसी चेतावनी है जो हमें सोशल मीडिया की दुनिया में सावधानी बरतने की जरूरत को दर्शाती है। एक सामान्य ट्रैवल ब्लॉगर से पाकिस्तानी जासूस तक का उनका सफर न केवल उनके व्यक्तिगत फैसलों का परिणाम था, बल्कि यह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों की रणनीति को भी उजागर करता है। पहलगाम हमले से पहले उनकी गतिविधियां और पाकिस्तान के साथ उनके संबंध भारत की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत हैं।




जांच एजेंसियां अभी भी इस मामले की गहराई में जा रही हैं, और यह देखना बाकी है कि ज्योति के इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हैं। लेकिन एक बात स्पष्ट है—राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने वालों के खिलाफ भारत सरकार और उसकी एजेंसियां सख्त कार्रवाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। ज्योति मल्होत्रा का मामला हमें यह सिखाता है कि सतर्कता, जागरूकता, और देशभक्ति हर नागरिक की जिम्मेदारी है।





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